आज के ध्यान में "मुंह को थोड़ा-सा खुला रखते हुए मन को जीभ के मध्य में स्थिर करना है...मुंह को बंद नहीं , थोड़ा-सा खुला रखना है-- मानो आप बोलने वाले हो या आप बोलने जा रहे हो.मुंह को उतना ही खोलो जितना हम उस समय खोलते हो जब हम बोलने को होते हो और तब मन को जीभ के मध्य में स्थिर कर दीजिये . एक अलग अनुभव होगा ; क्योंकि जीभ के ठीक बीच में एक केन्द्र है जो हमारे विचारों को नियंत्रित करता है .अगर हम अचानक सजग हो जाए और उस केन्द्र पर मन को स्थिर कर दे तो हमारे विचार सहज ही बंद हो जाएंगे .
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