मानव शरीर के केंद्र बिंदु का तातपर्य है कि समस्त शरीर की उत्पत्ति , संरचना, एवं कार्यप्रणाली यही से व्यवस्थित रहती है। शरीर को रोग मुक्त और कार्यशील एखने हेतु नाभि का अपनी यथा स्थिति अर्थात केंद्र पर ही रहना सदा अत्यंत आवश्यक है। नाभि याद केंद्र पर रहे इसके लिए सदा जीवन औए सात्विक भोजन का अनुसरण अति आवश्यक है। नाभि का अपने केंद्र से हट जाना मतलब अनेको रोगों को उत्पन्न होना। मानव शरीर में बहुत सारे रोग और विकृतियां आती है नाभि के अपने केंद्र स्थिति से हट जाने के कारण।
नाभि जब अपनी केंद्र स्थिति से हटती है तो वह दाई, बाई, ऊपर या नीचे की तरफ स्पंदन करने लगती है। नाभि की स्थिति की जानकारी उसके स्पंदन से स्पष्ट की जाती है। यदि स्पंदन केंद्र में हो रहा है तो नाभि अपनी यथा स्थिति पर है। परंतु इसके विपरीत किसी और स्थिति पर स्पंदन का।पता चलता है तो नाभि अपने केंद्र स्थिति से हट चुकी है और शरीर मविन अनेक रोगों का कारक बनेगी। यदि नाभि अपनी केंद्र स्थिति से हटकर अधिक समय यह तो रोग घर कर लेते है।
शरीर का केन्द्र II Osho's budget at the center of the body II Osho Hindi Pravachan
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